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दलित महिला ने पानी पिया तो गोमूत्र से ‘ शुद्ध ‘ कराया टैंक , एक्शन में आई पुलिस ने एक को पकड़ा

दलित महिला द्वारा टैंक से पानी पीने के बाद उसे गोमूत्र से “शुद्ध” कराने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। मामला कर्नाटक के चामराजनगर जिले का है। पुलिस ने बुधवार को बताया कि जिले में एक दलित महिला ने पानी के टैंक से पानी पी लिया था।

जिसके बाद उस टैंक से सारा पानी निकालर उसे गोमूत्र से “शुद्ध” कराया गया।

पुलिस ने बताया कि आरोपी महादेवप्पा (62) को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत गिरफ्तार किया गया है और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। यह घटना 18 नवंबर को हुई। एक दलित महिला दूसरे गांव से हेगगोटोरा गांव आई हुई थी। इसी दौरान उसने ऊंची जाति के इलाके में बने स्टोरेज टैंक से पानी पी लिया था। इसके बाद आरोपियों ने पानी निकालकर गोमूत्र से टंकियों को शुद्ध किया। घटना के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही तहसीलदार व समाज कल्याण विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू की।

इस बीच, महिला की पहचान शिवम्मा के रूप में हुई है। वह एचडी कोटे तालुक के सारागुर की रहने वाली बताई जा रही हैं। मंगलवार को उन्होंने मीडिया को बताया कि वह एक शादी समारोह के लिए हेगगोटोरा गई थीं। दोपहर के खाने के बाद बस में चढ़ने से पहले उन्होंने सार्वजनिक टैंक से पानी पिया। शिवम्मा ने कहा कि जब वह पानी पी रही थीं, तो एक आदमी ने उनसे उनकी जाति के बारे में पूछा। जब उन्होंने बताया कि वह दलित हैं तो उनसे पानी नहीं पीने को कहा गया।

घटना के बाद रविवार को तहसीलदार आईई बसवाराजू व समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने मौके का दौरा किया और ग्रामीणों से चर्चा की। अधिकारियों ने ग्रामीणों से कहा कि जल भंडारण टैंक एक सार्वजनिक संपत्ति है और हर कोई इससे पानी पी सकता है। इस दौरान तहसीलदार ने 20 से अधिक दलित युवकों को गांव के सभी सार्वजनिक पेयजल नलों पर ले जाकर पानी पिलाया।

बसवराजू ने कहा, “गाँव में कोई अन्य सामाजिक मुद्दे नहीं हैं। लोग एक-दूसरे के साथ सद्भाव से रह रहे हैं। लेकिन कुछ पूर्वाग्रही लोग होंगे और इस मामले में आरोपी एक ऐसा व्यक्ति है। वह इस घटना में शामिल एकमात्र व्यक्ति है, वहां कोई और ऐसा नहीं है।”

बसवाराजू ने कहा, “घटना के मद्देनजर संबंधित सभी अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद, हमने गांव में अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों में विश्वास पैदा करने और उन्हें जागरुक करने की कोशिश की है। हमने उन्हें बताया किया है कि ऐसी चीजों से कैसे निपटना है और अगर भविष्य में ऐसी घटनाएं होती हैं तो शिकायत कैसे दर्ज करा सकते हैं। हमने यह कहते हुए बोर्ड भी लगाए हैं कि पानी की टंकियां सार्वजनिक संपत्ति हैं और हर कोई उनका उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है।”

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