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अंततः मोहम्मद बिन सलमान के आगे झुके बाइडन, कर डाला एक बड़ा समझौता।

सऊदी अरब और अमरीका के बीच चल रहे तनाव के बीच आखिर कार अमरीका की डेमोक्रेट सरकार और बाइडन प्रशासन को झुकना पड़ा है और ट्रम्प दौर में किये गए सैन्य समझौते को मंजूरी दे दी।

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने अपने एक आधिकारिक बयान मे इसे मंजूरी देते हुए कहा के सऊदी अरब के साथ सैन्य समझौता एक सहयोगी देश की सुरक्षा में सुधार करने में मदद करके अमेरिकी विदेश नीति और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों का समर्थन करेगा साथ ही ये भी कहा गया की सऊदी अरब मध्य पूर्व में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण ताकत है।

~Via US State Department~

इस रक्षा समझौते में कई Black Hawks और Apache helicopters 🚁 डिल, सैन्य उपकरण, उसका रख रखाओ तथा खरीदारी शामिल है।
इसके अलावा कई अमरीकी अधिकारी, 350 Employees भी शामिल हैं जिन्हें सऊदी अरब भेजा जा रहा है।

पिछले दिनों वाशिंगटन ने सऊदी अरब को $500 मिलियन के हथियारों के सौदे को मंजूरी दी, जो बाइडेन के आगमन के बाद से यह अपनी तरह का सबसे बड़ा सैन्य सुरक्षा सौदा है।
इस सौदे को मंजूरी सऊदी-रूसी साझेदारी और रियाद के अमेरिकी रक्षा मंत्री की यात्रा को स्थगित करने पर विवाद के बाद मंजूरी मिली, जो अभी भी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मिलने के उत्सुक हैं। सउदी अरब को अंत में वह मिला जो वे चाहते थे। (Essa Nahari, Journalist).

रिश्ते में कड़वाहट क्यों और कैसे आई?

असल में बाइडन सत्ता संभालने के बाद सऊदी अरब के प्रिंस MBS से बात करने के लिए तयार नहीं थे और अमरीकी पत्रकार Jamal Khashoggi मामले पर MBS की भूमिका को लेकर उग्र थे तथा उनपर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे थे लेकिन इसमे उन्हें कोई बड़ी कामियाबी नहीं मिली और ना ही वो कोई ठोस सबूत दुनिया के सामने पेश कर सके और MBS पर प्रतिबंध लगाने से पिछे हट गए।
लेकिन इस तनाव में अहम मोड़ तब आया जब सऊदी ने रूस और चीन के साथ नज़दीकी बढ़ाना शुरू कर दिया और कई प्रकार के रक्षा तथा सैन्य समझौते किए जिससे बाइडन प्रशासन सकते में आ गया साथ ही अमरीका ने अपने रक्षा सचिव Lloyd Austin को कई अरब देशों के दौरे पर भेजा लेकिन सऊदी अरब ने उनके दौरे को रद्द कर उसी दिन रूस के प्रतिनिधि मंडल तथा रूसी अधिकारी को बुला लिया और कई रक्षा सौदे कर डाले और अमरीका रक्षा सचिव ऑस्टिन को बिना सऊदी अरब का  दौरा किए वापस  लौटना पड़ा। इसी को देखते हुए बाइडन प्रशासन ने सऊदी अरब को ट्रम्प सरकार द्वारा किये गए मिलिट्री डील को दुबारा से शुरू करना पड़ा और साथ ही अमरीका को यह भी एहसास हो गया के सऊदी अरब एक बड़ा बाजार है जिसके बिना अमरीकी इकॉनमी को मजबूती देना संभव नहीं।

Waqar Khan ✍🏼

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