तुर्की 🇹🇷 वालों ने एर्डोगान को कभी 2023 मे खिलाफत का दावेदार नही माना लेकिन बर्रे सगीर के अकल से पैदल दिमाग से खाली लोगों ने उनमे अपना खलीफा देखा जिसमे उन्हे लगा के 2023 आते आते तुर्की, सलनत उस्मानिया की तरह सऊदी अरब 🇸🇦 पर फिर से काबिज हो जाएगा और सऊदी, हुकुमत तश्तरी मे कर के एर्डोगान के कदमो मे पेश कर देंगे और फिर से सऊदी अरब मे शिर्क ओ बिदात खुरफ़ात के साथ 4 मुसल्ले बीछेंगे लेकिन उन्हे रुस्वा तब होना पड़ा जब उन जज़्बाती लोगों के खलीफा ने पहले UAE से मदद मांगी और वहाँ के प्रिंस से मुलाकात की फिर अब सऊदी क्राउन प्रिंस से कई बार मुलाकात के लिए वक़्त न दिये जाने के बाद जैसे ही मुलाकात का वक़्त फरवरी दिया गया के आएं और मिलें तब सारी रही सही कसर भी बाबा के चाहने वालों की मांद पड़ गई।
ये ऐसा इसलिए हुआ क्योंकी बाबा हर पड़ोसी देश मे टांग घुसा घुसाकर अपना परभुत्व स्थापित करना चाहते थे जिस वजह कर तुर्की की इकॉनमी बुरी तरह से लड़खड़ा गई, और लिरा अबतक के सबसे न्यून्तम स्तर पर जा पहुँचा। अरब देशों के बॉयकॉट से तुर्किश बिजनस को भारी नुक्सान हुआ है उसका प्रभाव अलग वहाँ के व्यापारी झेल रहे हैं। आनन फानन मे बाबा ने भारत से 100 हाइब्रीड ड्रोन बेचने का सौदा कर लिया, 1 साल के अंदर दो-दो वित् मंत्री हटाए लेकिन हालत नही सुधरी तो अब अरबों का रुख किया और इसी मे भलाई भी है बाबा की, क्योंकि तुर्की में अगले साल चुनाव होने वाले हैं और बाबा की हालत पूरी तरह से खस्ता बनी हुई है, और अपोज़िशन मज़बूत हो चुका है। जो भी हो बात देर से ही सही बाबा को तो समझ मे आ गई और उन्होंने इख़्वानियों पर भी बैन लगा दिया और उनके बैंक अकाउंट्स सीज कर दिये तथा लीरा बाहरी देशों मे भेजने पर भी रोक लगा दी, लेकिन हमारे भारतीय उप महाद्वीप के गाजियों को ये बात कब समझ मे आएगी??